योग्यता एक-भुगतान अलग कार्य में भी कोई अंतर नहीं, एनएवए्म के तहतलगे हैं कर्वारी संविदा भर्ती के लिए बनाए गए नियम से युवाओं को नुकसान, यूटीबी से लगने वाले कार्मिकों को फायदा
नेशनल हैल्थ मिशन के तहत कार्यरत करमचारियों की योग्यता व काम समान होने के बाद भी मानदेय में बड़ा अंतर है। नेशनल हैल्थ मिशन के तहत संविदा (सीएसआर) नियम व अर्जेन्ट टेम्परेरी बेसिस (यूटीबी) पर लगाया गया है। प्रदेश के युवा चिकित्सा अधिकारी, नसिंग फार्मासिस्ट, लैब टेक्निशियन, असिस्टैंट रेडियोग्राफर, एएनएम व ऑफ्थेल्मिक असिस्टेंट के पदों पर कार्यरत हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण की बजाय संव्दाकरण कर दिया।
जबकि प्रदेश के संविदा नसेंज भी लिखित परीक्षा के माध्यम से चयन होकर आते है। नेशनल हैल्थ मिशन के तहत सीएसआर रुल्स के तहत फामासिस्ट, एएनएम, नसिंग ऑफिसर जैसे विभिन्न पदों पर नियुक्ति दे दी है। लेकिन तीन माह से पुराने नियमों के तहत ही वेतन मिल रहा है। प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए लगे नर्सेंज को हर माह महज 7900 रुपए मिल रहे हैं। यह वेतन अस्पतालों में काम कर रहे सफाई कर्मचारियों से भी कम है। नेशनल हेल्थ मिशन में सीएसआर के तहत लगे नरसेंज को 189o0 रुपए मिल रहे है। जबकि यूटीबी पर काम करने वाले को 37800 रुपए मिलेंगे।चिकित्सा विभाग ने यूटीबी पर निकाली 3500 भर्तियां चिकित्सा विभाग ने प्रदेश में यूटीबी पर 3500 पदों पर कैकैंसी जारी की है।
इसमें
जयपुर व नागौर 250, भरतप्र में 160, बीकानेर में 150, जोधप्र में 110, चुरु, धौलपुर व करौली 100-100 पद स्वीकृत किए गए हैं। यह वैकेंसी 23 जिलों के लिए निकाली गई है। भ्ती नसिंग ऑफिसर व एएनएम के पदों पर होनी है
एलेसमेंट एजेसी के माध्यम से होने वाली भर्ती पए रोक लगनी चाहिए। नसेंज को या तो यूटीबी में लगाना चाहिए या सरकार को सीएसआर में बदलाव करना चाहिए।
-नरेंद्र सिंह शेखावत,
राजस्थान नसेंज संयुक्त
संघर्ष समिति